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Scene 1 (0s)

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Scene 2 (3s)

ढोल. गंवार. शूद्र. पशु. तुलसीदास जी रचित रामचरित मानस.

Scene 3 (10s)

abstract. यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:.

Scene 4 (32s)

P X T A EAN C E. धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी।आपद काल परखिए चारी।।.

Scene 5 (1m 1s)

. जननी सम जानहिं पर नारी । तिन्ह के मन सुभ सदन तुम्हारे ।।.

Scene 6 (1m 28s)

. मूढ़ तोहि अतिसय अभिमाना । नारी सिखावन करसि काना ।।.

Scene 7 (2m 4s)

तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर न सुन्दर । केकिही पेखु बचन सुधा सम असन अहि ।।.

Scene 8 (3m 1s)

प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥ ढोल गंवार शूद्र पशु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥.

Scene 9 (3m 58s)

. एक नारिब्रतरत सब झारी। ते मन बच क्रम पतिहितकारी।.

Scene 10 (4m 28s)

. . . abstract. . abstract.

Scene 11 (5m 9s)

ताड़न. संस्कृत. तुलसीदास जी ने मानस की रचना अवधी में की है और प्रचलित शब्द ज्यादा आए हैं.

Scene 12 (5m 38s)

abstract. abstract. abstract. हे प्रभु आपने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी और ये ये लोग विशेष ध्यान रखने यानि, शिक्षा देने के योग्य होते हैं।.

Scene 13 (6m 9s)

abstract. ताड़ना. अवधी. पहचानना परखना या रेकी करना होता है.

Scene 14 (6m 35s)

गंवार. मजाक उड़ाना नहीं. बल्कि उनसे है जो अज्ञानी हैं और उनकी प्रकृति या व्यवहार को जाने बिना उसके साथ जीवन सही से नहीं बिताया जा सकता।.