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ढोल. गंवार. शूद्र. पशु. तुलसीदास जी रचित रामचरित मानस.

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abstract. यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:.

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P X T A EAN C E. धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी।आपद काल परखिए चारी।।.

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. जननी सम जानहिं पर नारी । तिन्ह के मन सुभ सदन तुम्हारे ।।.

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. मूढ़ तोहि अतिसय अभिमाना । नारी सिखावन करसि काना ।।.

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तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर न सुन्दर । केकिही पेखु बचन सुधा सम असन अहि ।।.

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प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥ ढोल गंवार शूद्र पशु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥.

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. एक नारिब्रतरत सब झारी। ते मन बच क्रम पतिहितकारी।.

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. . . abstract. . abstract.

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ताड़न. संस्कृत. तुलसीदास जी ने मानस की रचना अवधी में की है और प्रचलित शब्द ज्यादा आए हैं.

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abstract. abstract. abstract. हे प्रभु आपने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी और ये ये लोग विशेष ध्यान रखने यानि, शिक्षा देने के योग्य होते हैं।.

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abstract. ताड़ना. अवधी. पहचानना परखना या रेकी करना होता है.

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गंवार. मजाक उड़ाना नहीं. बल्कि उनसे है जो अज्ञानी हैं और उनकी प्रकृति या व्यवहार को जाने बिना उसके साथ जीवन सही से नहीं बिताया जा सकता।.