पार्किंसन रोग

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Scene 1 (0s)

World parkinson disease day Images, Stock Photos & Vectors | Shutterstock.

Scene 2 (8s)

पार्किंसन रोग. Parkinsonism & Overview - Paras Hospitals.

Scene 3 (15s)

परिचय. यह एक जटिल बहुप्रणालीगत न्यूरो अपजनन से सम्बन्धित रोग है । 0 .3% जनता में, जो 40 साल से ऊपर हों उनमे यह मिलती है । यह रोग प्रगतिशील है । हालांकि पार्किंसंस रोग को ठीक नहीं किया जा सकता है, परंतु दवाएं आपके लक्षणों में काफी सुधार कर सकती हैं ।.

Scene 4 (31s)

पार्किंसन रोग Parkinson disease कम्पवात | Senior Citizen India.

Scene 5 (38s)

.. पार्किन्‍सोनिज्‍म का आरम्भ आहिस्ता - आहिस्ता होता है । पता भी नहीं पड़ता कि कब लक्षण शुरू हुए । अनेक सप्ताहों व महीनों के बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ़ जाती है तब अहसास होता है कि कुछ गड़बड़ है । डॉक्टर जब हिस्‍ट्री ( इतिवृत्त ) कुरेदते हैं तब मरीज़ व घरवाले पीछे मुड़ कर देखते हैं , याद करते हैं और स्वीकारते हैं कि हां सचमुच ये कुछ लक्षण , कम तीव्रता के साथ पहले से मौजूद थे । लेकिन तारीख बताना सम्भव नहीं होता ।.

Scene 6 (0s)

.. कभी - कभी किसी विशिष्ट घटना से इन लक्षणों का आरम्भ जोड़ दिया जाता है - उदाहरण के लिये कोई दुर्घटना , चोट , बुखार आदि । यह संयोगवश होता है । उक्त तात्कालिक घटना के कारण मरीज़ का ध्यान पार्किन्‍सोनिज्‍म के लक्षणों की ओर चला जाता है जो कि धीरे - धीरे पहले से ही अपनी मौजूदगी बना रहे थे । बहुत सारे मरीजों में पार्किन्‍सोनिज्‍म रोग की शुरूआत कम्पन से होती है । कम्पन अर्थात् धूजनी या धूजन या ट्रेमर या कांपना । पार्किंसन किसी को तब होता है जब रसायन पैदा करने वाली मस्तिष्क की कोशिकाएँ गायब होने लगती हैं ।.

Scene 7 (1m 25s)

मुख्य विशेषताएँ. कम्पन शरीर मे दृढ़ता असामान्य रूप से शारीरिक गतियों का धीमा हो जाना आसन सम्बन्धि अस्थिरता.

Scene 8 (1m 34s)

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Scene 9 (1m 40s)

कम्पन किस अंग का ?. हाथ की एक कलाई या अधिक अंगुलियों का , बांह का । यह पहले कम रहता है एवं यदाकदा होता है , रुक रुक कर होता है । बाद में अधिक देर तक रहने लगता है व अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है । प्रायः एक ही ओर ( दायें या बायें ) रहता है , परन्तु अनेक मरीजों में , बाद में दोनों ओर होने लगता है ।.

Scene 10 (2m 0s)

.. आराम की अवस्था में जब हाथ टेबल पर या घुटने पर , जमीन या कुर्सी पर टिका हुआ हो तब यह कम्पन दिखाई पडता है । बारिक सधे हुए काम करने में दिक्कत आने लगती है , जैसे कि लिखना , बटन लगाना , दाढी बनाना , मूंछ के बाल काटना , सुई में धागा पिरोना । कुछ समय बाद में , उसी ओर का पांव प्रभावित होता है । कम्पन या उससे अधिक महत्वपूर्ण , भारीपन या धीमापन के कारण चलते समय वह पैर घिसटता है , धीरे उठता है , देर से उठता है , कम उठता है । धीमापन , समस्त गतिविधियों में व्याप्त हो जाता है । चाल धीमी / काम धीमा हो जाता है ।.

Scene 11 (2m 29s)

.. शरीर की मांसपेशियों की ताकत कम नहीं होती है , लकवा नहीं होता । परन्तु सुघडता व फूर्ति से काम करने की क्षमता कम होती जाती है । हाथ पैरों में जकडन होती है । मरीज को भारीपन का अहसास हो सकता है । परन्तु जकडन की पहचान चिकित्सक बेहतर कर पाते हैं - जब से मरीज के हाथ पैरों को मोड कर व सीधा कर के देखते हैं , बहुत प्रतिरोध मिलता है । मरीज जानबूझ कर नहीं कर रहा होता । जकडन वाला प्रतिरोध अपने आप बना रहता है ।.

Scene 12 (2m 51s)

खडे होते समय व चलते समय मरीज सीधा तन कर नहीं रहता । थोडा सा आगे की ओर झुक जाता है । घुटने व कुहनी भी थोडे मुडे रहते हैं । कदम छोटे होते हैं । पांव जमीन में घिसटते हुए आवाज करते हैं । कदम कम उठते हैं गिरने की प्रवृत्ति बन जाती है । ढलान वाली जगह पर छोटे कदम जल्दी - जल्दी उठते हैं व कभी - कभी रोकते नहीं बनता । स्वाभाविक ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर पडता है ।.

Scene 13 (3m 11s)

.. सुस्ती , उदासी व चिडचिडापन पैदा होते हैं । स्मृति में मामूली कमी देखी जा सकती है । चलते समय भुजाएं स्थिर रहती हैं , आगे पीछे झूलती नहीं । बैठे से उठने में देर लगती है , दिक्कत होती है । चलते - चलते रुकने व मुडने में परेशानी होती है । चेहरे का दृश्य बदल जाता है ।.

Scene 14 (3m 27s)

आंखों का झपकना कम हो जाता है । आंखें चौडी खुली रहती हैं । व्‍यक्ति मानों सतत घूर रहा हो या टकटकी लगाए हो । चेहरा भावशून्य प्रतीत होता है बातचीत करते समय चेहरे पर खिलने वाले तरह - तरह के भाव व मुद्राएं ( जैसे कि मुस्कुराना , हंसना , क्रोध , दुःख , भय आदि ) प्रकट नहीं होते या कम नजर आते हैं । उपरोक्‍त वर्णित अनेक लक्षणों में से कुछ , प्रायः वृद्धावस्था में बिना पार्किन्‍सोनिज्‍म के भी देखे जा सकते हैं । कभी - कभी यह भेद करना मुश्किल हो जाता है कि बूढे व्यक्तियों में होने वाले कम्पन , धीमापन , चलने की दिक्कत डगमगापन आदि पार्किन्‍सोनिज्‍म के कारण हैं या सिर्फ उम्र के कारण ।.

Scene 15 (3m 55s)

.. खाना खाने में तकलीफें होती है । भोजन निगलना धीमा हो जाता है , गले में अटकता है । कम्पन के कारण गिलास या कप छलकते हैं । हाथों से कौर टपकता है । मुंह में लार अधिक आती है । चबाना धीमा हो जाता है । ठसका लगता है , खांसी आती है । बाद के वर्षों में जब औषधियों का आरम्भिक अच्छा प्रभाव क्षीणतर होता चला जाता है । मरीज की गतिविधियां सिमटती जाती हैं , घूमना - फिरना बन्द हो जाता है । दैनिक नित्य कर्मों में मदद लगती है ।.

Scene 16 (4m 18s)

संवादहीनता पैदा होती है क्योंकि उच्चारण इतना धीमा , स्फुट अस्पष्ट कि घर वालों को भी ठीक से समझ नहीं आता । स्वाभाविक ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर पडता है । सुस्ती , उदासी व चिडचिडापन पैदा होते है । स्मृति में मामूली कमी देखी जा सकती है ।.

Scene 17 (4m 33s)

10+ Facts About Parkinson's Disease: Statistics and Realities.

Scene 18 (4m 40s)

कुछ अन्य लक्षण व समस्याएं. नींद में कमी वजन में कमी कब्जियत जल्दी सांस भर आना पेशाब करने में रुकावट.

Scene 19 (4m 52s)

जोखिम तत्व. 1. आनुवंशिक कारण । 2. त्वरित उम्र बढ़ने के कारण । 3. पर्यावरण विषाक्त पदार्थ ( मिथाइल-फेनाईल टेट्रा हाइड्रो पाइरीडीन-एमपीटीपी) और अन्य विषाक्त पदार्थ (मैंगनीज, कार्बन मोनोऑक्साइड और मेथनॉल ) । 4. सबस्टैनशिया नाइग्रा में मुक्त रेडिकल और लौह पदार्थ में वृद्धि । 5. औषध - रेसरपाइन, एथेनॉल, लीथियम, डिल्टियाजेम आदि ।.

Scene 20 (5m 10s)

6. न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार जैसे मल्टी सिस्टम एट्रोफी, अल्जाइमर रोग । 7. संक्रमण के बाद (वायरल एन्सेफलाइटिस आदि ) । 8. ब्रेन ट्यूमर । 9. बार-बार सिर में चोट लगना (मुक्केबाजी की तरह ) ।.

Scene 21 (5m 22s)

आयुर्वेद मे पार्किंसन की चिकित्सा. आयुर्वेद मे अग्नि-दोष-धातु-मल को ध्यान मे रखकर चिकित्सा की जाती है । आयुर्वेद के द्वारा पूर्वरूपावस्था के स्तर पर ही, न्यूरो अपजनन सम्बन्धि प्रक्रिया को नियंत्रण करा जा सकता है । अप्रेरक तांत्रिका के लक्षणों मे सुधार करना । दुष्प्रभावों की तीव्रता को कम करना ।.

Scene 22 (5m 38s)

रोग निवारक उपाय. पथ्य - शाली, गोधूम, सब्जियां, ड्राइ फ्रूट्स, दूध एवं दूध से बने पदार्थ, अनार, नींबू, आम, संतरा, अमरूद, सेब, आड़ू, लहसुन, अजवाइन, सप्रऑउट्स इत्यादि । रोज व्यायाम का अभ्यास करे । संतुलित मात्रा मे पौष्टिक आहार करें ।.

Scene 23 (5m 54s)

रोग निवारक उपाय. डॉक्टर की देखरेख में एंटी साइकोटिक या किसी अन्य दवा का सेवन करें । जितना हो सके उतना सक्रिय रहें । अपथ्य - यव, मटर, जामुन, अत्यधिक मात्रा मे प्रोटीन/ मांसजातीय खाद्य पदार्थ, अत्यधिक मसालेदार भोजन ।.

Scene 24 (6m 8s)

चिकित्सा. निदान परिवर्जन – पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों, दवाओं, सिर की चोटों, संक्रमण जैसे कारकों से बचा जाना चाहिए । शमन चिकित्सा – अश्वगंधा, कपिकच्छु बीज, बला, ब्राह्मी स्वरस, दशमूल क्वाथ, वातारि गुग्गुलु इत्यादि.

Scene 25 (6m 21s)

चिकित्सा. 3. पंचकर्म – स्नेहन, सर्वांग स्वेद, मात्रा बस्ति, शिरोबस्ति, शिरोधारा इत्यादि । 4. अन्य – प्राणायाम, ध्यान (मेडिटेशन) करना चाहिए, आसन, योग निद्रा इत्यादि.

Scene 26 (6m 33s)

धन्यवाद.