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Scene 1 (0s)

[Audio] मेरा नाम संज्ञा है और मुझे चीजों का नामकरण पसंद है। मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि लोगों, स्थानों और जानवरों का एक नाम हो ।बहुत समय पहले बिजली और तूफान धरती पर मनुष्यों के बीच रहा करते थे। राजा ने उन्हें मनुष्यों की बस्ती से दूर रखा था। बिजली तूफान की बेटी थी। जब कभी किसी बात पर बिजली नाराज हो उठती, वह तड़ककर किसी घर पर गिरती और उसे जला देती या किसी पेड़ को राख कर देती, या खेत की फसल नष्ट कर देती। मनुष्य को भी वह अपनी आग से जला देती थी। जब-जब बिजली ऐसा करती, उसके पिता तूफान गरज गरजकर उसे रोकने की चेष्टा करते। किंतु बिजली बड़ी ढीठ थी। वह पिता का कहना बिलकुल नहीं मानती थी। यहाँ तक कि तूफान का लगातार गरजना मनुष्य के लिए सिरदर्द हो उठा। उसने जाकर राजा से इसकी शिकायत की। राजा को उसकी शिकायत वाजिब लगी। उन्होंने तूफान और उसकी बेटी बिजली को तुरंत शहर छोड़ देने की आज्ञा दी और बहुत दूर जंगलों में जाकर रहने को कहा। किंतु इससे भी समस्या का समाधान नहीं हुआ।बिजली जब नाराज होती, जंगल के पेड़ जला डालती। कभी-कभी पास के खेतों का भी नुकसान कर डालती। मनुष्य को यह भी सहन न हुआ। उसने फिर राजा से शिकायत की। राजा बेहद नाराज हो उठा। उसने तूफान और बिजली को धरती से निकाल दिया और उन्हें आकाश में रहने की आज्ञा दी, जहाँ से वे मनुष्य का उतना नुकसान नहीं कर सकते थे जितना कि धरती पर रहकर करते थे।.