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Scene 1 (0s)

पाठ-5-उत्साह (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला).

Scene 2 (7s)

[Audio] आप देख रहे हैं स्लाइड नंबर २ जिसमें हम आपको पाठ-५ उत्साह के तहत लेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' के जीवन परिचय से अवगत कराएंगे। सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जी का जन्म बंगाल की महिषादल रियासत में हुआ था जो कि अब मेदिनीपुर जिले में है। उनका जन्म दिन २१ फ़रवरी सन् १८९९ को माघ मास के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवे दिन हुआ था। उनके पिता पंडित रामसहाय तिवारी उन्नाव के रहने वाले थे और उनके दोनों पैरों खड़े होना उस समय की नौकरियों में बहुत महत्वपूर्ण था। उनके परिवार की अर्थव्यवस्था महिषादल की नौकरी से ही चल रही थी और जब पिता का दुःखद देहांत हुआ तो उन्हें अपने बच्चों को और अपने संयुक्त परिवार को भी चलाने में काफी संघर्ष करना पड़ा। इन सभी कठिनाइयों के बीच भी सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जी ने संघर्ष और समझौते का रास्ता अपनाने से इन्कार नहीं किया और अपने जीवन के विभिन्न मानदंडों पर कायम रहे। उनका जीवन का आखिरी दौर इलाहाबाद में बीता और वह दारागंज मुहल्ले में रायसाहब की कोठी में अपनी इहलीला समाप्त कर गए। अगले स्लाइड में हम आपको गौरवान्वित निराला जी के बाल और युवावस्था के बारे में विस्तार से बताएंगे।.

Scene 3 (1m 16s)

पाठ-5-उत्साह (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला). I -E-Q-e -E-Q-e 1 e a-EE-LL-e 1 P P J&.-.E-rz P xn-.b-.u--b -a a-e-U-e b 1 Ir•u-•-• 1 -E-e.-u-c.

Scene 4 (1m 32s)

[Audio] हम उस जीवन को विश्लेषण करेंगे जो प्रसिद्ध साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने जीवित होते हुए गुजारा किया। वे एक अभिन्न भाग्यशाली जीवन जीते थे जो उन्हें अपनी लेखनी के माध्यम से ही जाने गए। निराला को अपने समय के समाजिक राजनैतिक और सांस्कृतिक विवादों से गहरा रिश्ता था और उनका काम उन्हें उन विभिन्न परिस्थितियों को समझने और उनसे सामना करने का साहस देता था। निराला की कला और भाषा उस समय की सामाजिक वास्तविकताओं की अभिव्यक्ति थी और आज भी हमारे लिए एक अमूल्य धन है। इस पाठ में हम निराला के जीवन को एक नजर से देखेंगे और उनके प्रसिद्ध उत्साह के पीछे की कहानी को जानेंगे।.

Scene 6 (2m 17s)

[Audio] इस पाठ में हमने जाना कि कैसे श्री सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जी के काव्यसंग्रह और उपन्यासों से उनकी कला का निर्माण हुआ। उनके प्रसिद्ध काव्यसंग्रह अनामिका परिमल गीतिका अनामिका (द्वितीय) और तुलसीदास जैसे अनेक प्रसिद्ध काव्यों के साथ जिनका उन्होंने संकलन किया। उनके अपूर्ण काले कारनामे चमेली और इन्दुलेखा जैसे अन्य उपन्यास भी उनकी प्रसिद्धि का सबूत हैं। उनकी कहानी संग्रहों लिली सखी सुकुल की बीवी चतुरी चमार और देवी भी उनकी साहित्यिक प्रतिभा को दर्शाते हैं। आइए हम अगले स्लाइड पर जानते हैं कि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जी के जीवन में और कौन से उपन्यास और कहानी संग्रह शामिल हैं।.

Scene 7 (3m 0s)

पाठ-5-उत्साह (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला). निबन्ध-आलोचना रवीन्द्र कविता कानन (1929)प्रबंध पद्म (1934)प्रबंध प्रतिमा (1940) चाबुक (1942)चयन (1957)संग्रह (1963)[9] बालोपयोगी साहित्य भक्त ध्रुव (1926)भक्त प्रहलाद (1926)भीष्म (1926)महाराणा प्रताप (1927)सीखभरी कहानियाँ अनुवाद रामचरितमानस (विनय-भाग)-1948 (खड़ीबोली हिन्दी में पद्यानुवाद)आनंद मठ (बाङ्ला से गद्यानुवाद)विष वृक्षकृष्णकांत का वसीयतनामा,कपालकुंडला,दुर्गेश नन्दिनी,राज सिंह,राजरानी,देवी चौधरानी,युगलांगुलीय,चन्द्रशेखर,रजनी,श्रीरामकृष्णवचनामृत (तीन खण्डों में),परिव्राजक,भारत में विवेकानंद,राजयोग (अंशानुवाद)[11] सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की पहली नियुक्ति महिषादल राज्य में ही हुई। उन्होंने १९१८ से १९२२ तक यह नौकरी की। उसके बाद संपादन, स्वतंत्र लेखन और अनुवाद कार्य की ओर प्रवृत्त हुए। १९२२ से १९२३ के दौरान कोलकाता से प्रकाशित 'समन्वय' का संपादन किया, १९२३ के अगस्त से मतवाला के संपादक मंडल में कार्य किया। इसके बाद लखनऊ में गंगा पुस्तक माला कार्यालय में उनकी नियुक्ति हुई जहाँ वे संस्था की मासिक पत्रिका सुधा से १९३५ के मध्य तक संबद्ध रहे। १९३५ से १९४० तक का कुछ समय उन्होंने लखनऊ में भी बिताया। इसके बाद १९४२ से मृत्यु पर्यन्त इलाहाबाद में रह कर स्वतंत्र लेखन और अनुवाद कार्य किया। उनकी पहली कविता जन्मभूमि प्रभा नामक मासिक पत्र में जून १९२० में, पहला कविता संग्रह १९२३ में अनामिका नाम से, तथा पहला निबंध बंग भाषा का उच्चारण अक्टूबर १९२० में मासिक पत्रिका सरस्वती में प्रकाशित हुआ।.

Scene 8 (3m 47s)

[Audio] "इस प्रस्तुति में हमने देखा कि शब्द "उत्साह" कितने अनेक अर्थ अपने साथ लेकर आता है। ये शब्द ललित-सुन्दर विद्युत्-छवि-बिजली की शोभा वज्र-कठोर विकल-बेचैन उन्मन-अनमना निदाघ-तपती गर्मी अज्ञात-अंजान अनंत-आकाश तप्त-गर्म और धरा-धरती की उग्रता को दर्शाते हैं। इस सभी का अनुभव हमें उत्साह से भर देता है। हमें यह अनुभव दिखाता है कि हमारे अंदर उत्साह की शक्ति है जो हमें अपार साहस और प्रगति की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। शब्दार्थ उत्साह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्मुक्त और आत्मविश्वासी बनाता है। इसके साथ हमारी प्रस्तुति का अंत होता है। धन्यवाद।.